STORYMIRROR

NIBEDITA MOHAPATRA

Tragedy

3  

NIBEDITA MOHAPATRA

Tragedy

नादान सी कली

नादान सी कली

1 min
167

चांद सा वो एक मुखड़ा जो  

सबकी आंखों में थी वसी,

ओर दिलों को सुकून देती थी,

उसकी प्यारी सी हँसी।


खेलती घूमती फिरती थी

कभी तुतलाकर बोलती थी,

खुशियों से आंगन को भरती

मानो एक सुंदर सी परी थी।


जिंदगी के हर गम से बेगान

वह ममता की मूरत थी,

सबको अपना मानने वाली

एक नादान सी कली थी।


जाने किसकी लगी उसे नजर

खिलने से पहले ही मुरझा गई,

कामना वासना से बेसुध फिर भी 

दरिंदों के हवस का शिकार बन गई।


क्यों करते हो ऐसी गुस्ताखियां

कुछ ख्याल करो उस कली का,

मां, बेटी तो कभी बहन के रूप में

जो गुरूर है तुम्हारे जीवन का।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy