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Dr Manisha Sharma

Abstract

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Dr Manisha Sharma

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ना करना मोहब्बत

ना करना मोहब्बत

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कहा था अंजाम भला नहीं होता 

क्यों ख़ुद से दुश्मनी मोल ली तुमने

जितना सुलझोगे उलझते जाओगे

मोहब्बत से मोहब्बत क्यों की तुमने


ये ऐसी राह है जो मंज़िल नहीं पाती है

जितने फासले हों उतनी ही तड़पाती है

कभी रफ़ीक कभी इबादत बन जाती है 

जीते जी ज़िन्दगी शहादत हो जाती है।


ख़ुद से ग़र मोहब्बत है तो मोहब्बत ना कर

जी ले अपनी ज़िन्दगी तिल तिल के ना मर

अपनी राह अपना सफ़र अपनी मंज़िल बन 

ना हमसफर ख़ोज ना किसी हसीन पे मर। 


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