STORYMIRROR

मुस्कुराओ और मुस्कान फैलाओ

मुस्कुराओ और मुस्कान फैलाओ

1 min
341


ज़िन्दगी इत्ती भी बुरी नहीं,

कि उसे बदनाम करो,

आँसू इत्ती भी सस्ती नहीं,

कि हर किसी पे उसे ज़ाया करो।


दिल इत्ता भी कमजोर नहीं,

कि हर मोर पे धड़के,

पर मुस्कान इत्ती भी महँगी नहीं,

कि उसे सहेज के रखें।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama