मुरझा गए वो फूल
मुरझा गए वो फूल
मुहब्बत जो हमने की
दर्द ही मिले
मुरझा गए वो फूल
कभी थे जो खिले।
हम कभी कह ना पाए
हाल ए दिल अपना
वो कभी समझ नहीं सकी
हाल ए दिल अपना।
दिल में प्यार भरे दर्द की
दास्तान शुरु हुई
मुहब्बत में फिर
एक आशिक की
इम्तिहान शुरू हुई।
वो हमें नज़रंदाज़
करने लगी हम उसे
प्यार करने लगे
कभी फैशन से
नफरत करते थे
हम उसके लिए
सवरनें लगे।
यूँ तो बदमाश
नही थे हम
मगर शरीफो में
हमे गिना नहीं
जाता था
वो दूर रहती तो
उसको देखना
पास आने पर
नज़रे चुराना
ये सिलसिला
चलता रहा।
सोशल नेटवर्किंग साइट पर
वो मुझे देखे भी न
हम बेशर्मो की तरह
टेक्स्ट करते रहे
कभी समझ जाए वो
हाल ए दिल मेरा
बस यही कोशिश
हम करते रहे।
दोस्तों को हमराज़ बना
उनसे जुड़ने की
कोशिश हज़ार की
बदले में उसने मेरी
बेइज़्ज़ती हर बार की।
एक ही गलती को
कैसे हर बार हम करते
जो इज़्ज़त नही करती उससे कैसे प्यार हम करते।
छोड़ दिया हमने भी उसको देखना अब
मिटा दी वो यादें
उसकी खुश हूँ मैं अब।
इज़्ज़त पे खाकर ठोकर हम भी किसी से
प्यार नही करते
जो हमे भूलना चाहती हो
उसे याद हम भी
एक बार नही करते।
