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Vibha Rani Shrivastava

Tragedy

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Vibha Rani Shrivastava

Tragedy

मुक्तक

मुक्तक

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प्रीत की रीत की होती नहीं जीत यहाँ।

ह्रीत के नीत के होते नहीं मीत यहाँ।

शीत यहाँ आगृहीत तड़ीत रूह बसा,

क्रीत की गीत की होती नहीं भीत यहाँ।


उबलते जज्बात पर चुप्पी ख़ामोशी नहीं होती।

गमों के जड़ता से सराबोर मदहोशी नहीं होती।

तन के दुःख प्रारब्ध मान मकड़जाल में उलझा,

खुन्नस में बयां चिंता-ए-हुनर सरगोशी नहीं होती।


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