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Dr.Purnima Rai

Fantasy

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Dr.Purnima Rai

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मुकाम (कविता)

मुकाम (कविता)

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जिस्म औ' रूह को

दे रहा है ठंडक

नदिया का कल कल

 करता पानी

शांत वातावरण में

 मिल रही है जीवन को

 फिर से रवानी!!!


मिले आशीष यूं ही

 विद्या धन का सभी को

नयनों में पल रहे सपने

 पूरे हो सभी जिंदा दिलों के!!


अधूरी आशाओं के साथ

 जीना भी क्या जीना है!

टूटी हुई उम्मीदों में भी 

उम्मीद के दीप जलाना

 जिंदगी की है कहानी !!


जीने का एक मकसद

 प्यार ही नहीं साकी 

मैं-मेरी को भुला देना ही है

 प्यार की सच्ची कुर्बानी !!


कुछ पाना कुछ हासिल करना

 बड़ी बात नहीं है "पूर्णिमा"

उस मुकाम को बरकरार रखना है 

महानता की निशानी !!



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