मुझे भी इस जग में आना है
मुझे भी इस जग में आना है


मुझे भी इस जग में आना है।
मुझे भी इस जग में आना है।
मां तेरे आँचल में छुप जाना है।
अपनी पायल की छन छन से, तेरा आंगन चहकाना है।
मुझे तेरा साथ निभाना है और पिता का हाथ बंटाना है।
अच्छी शिक्षा पाकर इस जग में, ऊंचा ओहदा पाना है।
बहन, बेटी, मां, पत्नी बनकर अपना फ़र्ज़ भी निभाना है।
मुझे भी इस जग में आना है।
पर मां तू घबराई क्यों हो ? मन विचलित सी सकपकाई क्यों हो ?
क्या है तेरे हृदय अंदर, जैसे हिलोरे ले रहा समंदर।
मां में कोई बोझ नही हूँ, गर्भ में न मुझको मारो तुम,
तेरे ही रक्त का कतरा हूँ मैं, इतनी तो सोच विचारो तुम।
ज़ालिम समाज के दबाब में आकर, न मेरा जीवन उजाडो तुम।।
मां गर तुम ही, दुशमन मेरी बन जाओगी,
मेरी नन्ही सी सांसों को, तुम खामोश कर जाओगी।
छुपना था जिस आँचल में मां, क्या उसका कफ़न उड़ाओगी ?
कोमल सा हृदय था तेरा, पत्थर सा क्यों हो गया ?
जिसे तुमने खून से सींचा, विचार उसके वध का क्यों हो गया ?
उठो मां... तुम ...खुद पर तो विश्वास करो।
मेरी रक्षा की खातिर .....थोड़ा तो प्रयास करो।।
बस आने दो इस धरा पर मुझको, मुझे तेरा सम्मान बढ़ाना है।
क्या होता है बेटी का महत्व, सारे जहाँ को ये समझाना है।
मुझे भी इस जग में आना है, मां मुझे भी इस जग में आना है।