मुझ में कितना है दम
मुझ में कितना है दम
इक दिन बैठी थी अखियां मीचे
सोच रही थी ऊपर नीचे
ख्वाबों में आया इक बंदर
वो तो घुस गया घर के अंदर
मम्मी डर गई पापा डर गए
भईया भाग पड़ोसी घर गए
मैंने एक उठाया डंडा
पूछा बंदर से भई क्या है फंडा
पूंछ पकड़ कर धर दिया चांटा
जी भर कर के उस को डांटा
बंदर मिंया डर बाहर भागे
मैं थी पीछे बंदर आगे
खुश थी बहुत
पर......पर
किसने मेरी खींची चोटी
खुली आँख और मैंने पाया
सचमुच का बंदर पास में आयl
चीखी और चिल्लाई मैं
झट मम्मी की गोद में आई मैं
अब समझी मैं वो सपना था
अपने में तो दम इतना था।