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Prem Lata Anand

Others

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Prem Lata Anand

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प्रेम गीत

प्रेम गीत

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प्यार

एक एहसास है इसे महसूस करो

यह जिंदगी का नगमा है

इसे गुनगुनाओ 

और 

मौजों की रवानी महफूज करो

पर 

मानव बन बैठा है दानव

किसको व्यथा सुनाएं

भेदभाव के झूठे भ्रम में

खुद को ही भरमाएं

सामने है मंजिल, पर पांव में हैं बेड़ियां 

ग़म से तो आजाद हैं पर आबाद नहीं खुशी से

जीवन के रास्तों की पगडंडियां हैं टेढ़ी

रंजोगम बचपन के साथी

अनदेखे, बिन पहचान के साथी

छोड़ के सारे इन झंझटों को

क्यों ना कोई मीत बनाया

वो जीवन भी कैसा जीवन

जिसने प्रेम गीत ना गाया

प्रेम गीत को जिसने गाया

उसने सब कुछ पाया

उसके ऊपर सब न्यौछावर

क्या सुख और क्या माया

कितनी जुबानें बोलें लोग हमजोली

प्यार की इस दुनिया में एक ही बोली

जो भी समझा इस भाषा को

जिंदगी उस की हो ली

प्यार को प्यार ही रहने दो

इसे कोई नाम ना देना

इस मधुर प्रवाहित प्रेम सुबह की

कभी शाम ना होने देना

कभी शाम ना होने देना ।



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