मत तौलो धन, ऐश्वर्य व मान को
मत तौलो धन, ऐश्वर्य व मान को
जीवन सफल हुआ तो ये मन हुआ सुदीप्त ,
अपनी लोभ लालसा में डूबनेवालों को देखो,
आज मानव हुआ कैसे निज स्वार्थ में लिप्त ,
वह क्या जानेगा भला इस आत्मा का प्रदीप्त !
मत तौलो अपने धन, ऐश्वर्य और सामान को ,
दिल में चोट ना पहुँचाओ किसी भी इंसान को,
अपने ज्ञानचक्षु खोल देखने की कोशिश करो ,
औ पहचान लो हर इंसान में छुपे भगवान को।
रिश्ता चाहे दिल का हो या जन्म से सहोदर का,
हर रिश्ता हकदार है आपके मान व आदर का !
जो स्वार्थी हैं, उनके लिए सदा प्रस्तुत मत रहना,
ज़ब रिश्ता रिसने लगे, उसे छोड़ आगे बढ़ जाना !
मत गिनाओ अपने वेतन भत्ते, और सुविधाएं ,
मत गिनाओ अपनी प्रतिभा से प्राप्त पुरस्कार,
अपनों को तमाम कमियों और खूबियों के साथ,
सहर्ष करो सदैव ही अपने हृदय तल से स्वीकार !
