मत कर हिसाब किताब।
मत कर हिसाब किताब।
निशानियाँ कयामत की आती ही रहेंगीं
पर रहमते खुदाई जिन्दगियाँ पाती ही रहेंगीं।।1।।
मत डरना समंदर की लहरों से मझधार में।
मौतें जिन्दगियों को यूँ ऐसे डराती ही रहेंगीं।।2।।
खुदा तुझको भी रहमत से महरूम ना रखेगा।
बुरे वक्त में माँ की दुआएं तो जाती ही रहेंगीं।।3।।
क्या तूमने जी है जिंदगी मजलूमों की तरह।
ये दिक्कतें ही ज़न्नत में घर बनाती ही रहेंगीं।।4।।
मत कर हिसाब किताब दुनियाँ में लोगों से।
ये वक्ती परछाइयां हैं आती-जाती ही रहेंगीं।।5।।
मत करना तुम दोस्तों से मिलना जुलना बंद।
ये शामे-ए-महफिलें तुझको हँसाती ही रहेंगीं।।6।।
गुरुर ना करना ज़िंदगी में पाने पर सब कुछ।
ये सितारों की रोशनियां हैं जो जाती ही रहेंगीं ।।7।।
ये वतन-ए-मोहब्बत है सरहद पर जवानों की।
तुम सोते रहो सुकूँ से जानें तो जाती ही रहेंगीं।।8।।
बना ले तू सफर को मुकम्मल खुदा की राह में।
वरना जहन्नम की आगें ताउम्र जलाती ही रहेगीं।।9।।
