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Manansh Pokhariyal

Abstract Others

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Manansh Pokhariyal

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मसान

मसान

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उसकी दो संतान

ठुकरा कर उसे और

वह छोटा सा मकान

कहीं दूर चली गयीं

छोड़ कर आस वहीँ

अश्रुओं में झलकाने ख़ातिर


पीढ़ी दर पीढ़ी

पीड़ा भी बढ़ चली

मायूस सा बैठा सोचें

ग़लती क्या थी आखिर

कमी क्या रह गयी थी

करनी उनके ख़ातिर

अब आत्मा भी उसे

शरशैया में छोड़ गयी

रह गया तो सिर्फ

वह असमंजस का भाव


जहाँ मर गयी मानवता

आस-मृत्यु हुयी जहाँ

उस वृद्ध ने जहाँ दम तोड़ा

वह छोटा सा मकान 

बन गया शमशान

बन गया मसान



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