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Manansh Pokhariyal

Romance

4.8  

Manansh Pokhariyal

Romance

इश्किया मौसम

इश्किया मौसम

1 min
480


आज मौसम ही इश्किया है

दिल अपने राज़ कुछ इस तरह खोलेगा

ज़र्रा ज़र्रा बोलेगा

भले ही ज़रा ज़रा बोलेगा


माना लफ़्ज़ों को जुमले में पिरोना मुश्किल

पूरा बदन उन्हें जताने की मशक़्क़त करेगा

ख्वाब मुक़म्मल करने को तड़पेगा

आज अश्क़ अश्क़ बरसेगा


तुम्हारी आवाज़ की तरन्नुम से

मन अपना आपा कुछ इस तरह खो देगा

मुहब्बत का ऐसा बीज बोयेगा

जिसे सीचने को आज अर्श भी रो देगा


मंद हवाओं और बरसात के बीच

सब्र का बांध कुछ इस तरह टूटेगा

अपना हाल बताने को मन चंचल हो उठेगा

ये वक़्त वक़्त भटकेगा


शायद तुम्हारे नाम का ज़िक्र न हों

पर बारिश के क़तरों में तुम्हारा अक्स झलकेगा

बावजूद लाख जतन के दिल कुछ नही बोलेगा

बस दीदार को तरसेगा


गर लोगे देख तुम मेरे जज़्बात

दिल तुम्हारा भी शायद मुझे अपना लेगा

इस प्रेम से सारा जहाँ जलेगा

ये आँख आँख खटकेगा


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