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कीर्ति वर्मा

Inspirational

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कीर्ति वर्मा

Inspirational

मर्यादा पुरुषोत्तम राम

मर्यादा पुरुषोत्तम राम

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राम तेरी मर्यादा को 

आज मैंने है जाना

आत्मसात किया 

तब मैंने यह माना!

 

त्रेता से कलजुग तक 

सुनते आये गाथा, 

लाख मुसीबत आई

पर तोड़ी न मर्यादा।


कैकई के कठोर वचन 

तोड़ सकते थे पल में, 

अपने पिता के वचनों की

रखी थी मर्यादा तुमने।

 

सारे जग की नैया के 

तुम ही हो खिवैया  

मर्यादा की खातिर 

चढ़े थे केवट नैया।


तुम सर्वज्ञ सर्वव्यापी 

तुम थे घट घट के वासी

मर्यादा की खातिर

साथ लिए वनवासी।

 

क्षीरसागर के स्वामी 

पल में पार किया होता, 

आव्हान कर पयोधि का 

राम ने की शक्ति पूजा।


सीता मैया से मिलते 

कोई लीला समझ न पाया, 

मर्यादा की खातिर 

हनुमत को पहुंचाया।

 

नीति न्याय और नेतृत्व में

 तुम सा जोड़ न पाया 

विभीषण और सुग्रीव का

 राज, तुमने था लौटाया।


नर रूप धर नारायण ने

 लीलाएं दिखलायीं, 

मतिमंद मानव को 

पर वे समझ न आयीं।

 

और प्रमाण क्या होंगे

प्रभु राम के होने के?

टेंट में बैठे रामलला के

महल बनेंगे सोने के।


रामराज फिर आयेगा

सजेगा अयोध्या धाम,

रखो भरोसा ईश पर

*बेड़ा पार करेंगे राम*।

   


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