मृत्यु
मृत्यु
मृत्यु
ऐसा कड़वा सच
जिसे स्वीकारना मुश्किल
नकारना तो है नामुमकिन।
मृत्यु
डर कर जीना
है मौत से बदतर
क्यों न डरा कर ही मरें।
मृत्यु
कहना आसान
रूह काँप जाती है
जब मौत सामने आती है।
मृत्यु
समय का पता नहीं
अंदाजा लग ही न पाए
क्या मालूम कब हो दस्तक जाए।
मृत्यु
जिंदा होकर भी
हर रोज उसकी होती है
ज़मीर बेचकर जो सोता है।
मृत्यु
गले लगाओ
टाल तो ना पाओगे
तो क्यों न जीओ हँस हँस के।
मृत्यु
यम का बुलावा
बस यही प्रभु प्रार्थना
कुछ कर्म सत कर जाऊँ।