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Rashmi Prabha

Abstract

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Rashmi Prabha

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मृत्यु के बाद

मृत्यु के बाद

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जन्म के बाद मृत्यु

तो निःसंदेह मृत्यु के बाद जन्म

कब कहाँ जन्म

और कहाँ मृत्यु

सबकुछ अनिश्चित  … !

कल्पना का अनंत छोर

जीने का प्रबल संबल देता है

साथ ही

मृत्यु की भी चाह देता है

चाह निश्चित हो सकती है

हो भी जाती है

पर परिणाम सर्वथा अनिश्चित

!!!

प्रयास के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं !!!

चलो एक प्रयास हम कल्पना से परे करें

मृत्यु के बाद का सत्य जानें

यज्ञ करें

विज्ञान की ऊँगली थाम आविष्कार करें

मृत शरीर की गई साँसों की दिशा लक्ष्य करें

सूक्ष्म ध्वनिभेद पर केन्द्रित कर सर्वांग को

…आत्मा में ध्यान की अग्नि जला

असत्य की आहुति दे

उस सूक्ष्मता को उजागर करें 

पाप-पुण्य की रेखा से परे

ईश्वरीय रहस्य को जाग्रत करना होगा

एक युग

एक महाकाव्य

एक महाग्रंथ का निर्माण करना होगा

जन्म-मृत्यु

इन दोनों किनारों को आमने-सामने करना होगा

संगम में मुक्ति है

तो उसी संगम में ढूंढना होगा

प्रेम का तर्पण

त्याग का तर्पण

मोह का तर्पण

प्रतिस्पर्धा का तर्पण

कुछ यूँ करना होगा

मृत्यु के पार सशरीर जाकर

आत्मा से रूबरू होना होगा -



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