मरती आत्मायें
मरती आत्मायें
"तो क्या हुआ ?
रख लो फिर से इस बार ,
गर लड़की हुई तो ,
अबॉर्शन करा लेंगे पाँचवी बार । "
ऐसी सोच से जन्मा था इनका प्यार ,
जहाँ पुत्र प्राप्ति ही था इनका संसार ,
इन्हे चाह नहीं थी अब लड़की की कोई ,
लड़की सुनते ही इनकी थी किस्मत रोई।
तीन महीने अपने गर्भ में सींचा ,
लड़की पता लगने पर अँखियों को मींचा ,
चल दिये दोनो अबॉर्शन करवाने ,
एक और पाप अपने सर लिखवाने।
हाथ झटक प्यारी बड़की का ,
मोह छोड़ दूसरी लड़की का ,
पुत्र चाह के दोनो दीवाने ,
अबॉर्शन से कभी हार ना माने।
मगर इस बार महीने थे चार
फिर भी किया उन्होने आत्मा का व्यापार
जान जोखिम में डाल किया काम नेक
अपने हाथों से दिया एक और भ्रूण फेंक।
उनके इसी नेक काम की वफ़ा उन्हे मिली ,
नौ महीने बाद जब पुत्र से गोद भरी ,
मगर उन पाँचों अबॉर्शन की अब कोई सुनवाई नहीं ,
क्योंकि आत्मायें शरीर के संग कभी किसी ने जलाई नहीं।
