मृत शरीर
मृत शरीर
ये शरीर अभी जिंदा है,
पर इस संसार ने इसे मृत घोषित कर दिया,।।
दीप अभी बुझा ना था,
दीप में अभी तेल बाकी था,
ना जाने क्यूं मेरे अपनो ने मुझे अंदर से खोखला कर दिया,
सांस भरते इस शरीर को मृत बना दिया,।।
ये शरीर अभी जिंदा है,
पर इस संसार ने इसे मृत घोषित कर दिया,।।
मैं मृत नही जीवित हूं,
जो गूंज उठेगी एक दिन मैं वो कलम हूं,
राग नही बेराग हूं,
किसी लिबास पर लगी कालिख की छाप हूं,।।
ये शरीर अभी जिंदा है,
पर इस संसार ने इसे मृत घोषित कर दिया,।।
अंत नही आरंभ मेरा लक्ष्य है,
अपनी अवस्था पर रचा मैने ये मूक काव्य है,
उन सब की तरह इसे पढ़कर तुम भी ना भूल जाना,
इस साक्षात्कार को महज भ्रम ना कह जाना,।।
ये शरीर अभी जिंदा है,
पर इस संसार ने इसे मृत घोषित कर दिया,।।
मैं मरा नहीं मारा गया हूं,
जिसके काट दिए है पंख मैं वो अपाहिज पंछी हूं,
अपनी टिप्पणियों में वो मुझे मृत कहते होंगे,
पर उनकी जुबान पर मेरे किस्से आज भी सांसे भरते होंगे,।।
