Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

मर्द को भी दर्द होता है

मर्द को भी दर्द होता है

1 min
372


आदमी भी रोता है,

आदमी को भी दर्द होता है

पर एक बात बताओ 

क्यों आदमी बोल नहीं पाता है

अपने दिल का हाल

क्यो उसने सिमट कर रखा है

अपने आप को अपने कवच में यार

सब कुछ तो वो करता है,

दिन-रात भागता-दौड़ता है,

कभी किस के लिये तो

कभी किसके लिये

क्यो वो भूल जाता है कि

वो भी एक इन्सान है।

गलती उसकी भी नहीं

गलती समाज की है

जिसने आदमी को

ठोस चट्टान बना दिया है,

पर वो समाज इतना भूल गया है,

उन चट्टानों से भी झरना बहता है,

उससे भी आवाज आती है,

जो उसकी खूबसूरती में

उसके अंदर ही छिप जाती हैं।

याद करो वो समय,

जब ये आदमी भी एक बच्चा था,

अगर कुछ होता था,

बिलख -बिलख कर अपनों के

आगे रो पड़ता था,

फिर आज आदमी के अंदर का

वो मासूम बच्चा कहाँ चला गया

क्यों जिम्दारियों की दौड़ में गुम हो गया

चलो सब मिल कर चलते है

अपने-अपने गम साइड रख कर 

खुशियाँ बाँट लेते हैं,

क्या झरना,क्या चट्टान,क्या बेला ,क्या फूल ,क्या बगीचा,क्या अंबर ,क्या धरती 

आओ सब कुछ में मिल कर,

सबका मजा लेते है 

थोड़ा-थोड़ा सब जी लेते है 

थोड़ा-थोड़ा सब जी लेते है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract