मोती को पारस
मोती को पारस


आ तेरे डैने में एक और पंख जड़ दूँ
तेरे हौसलों की उड़ान में तेजी जोड़ दूँ
करो हिम्मत बढ़ो आगे निर्भय निरंतर
साथ हूँ हरदम तुझे ये तसल्ली दिला दूँ।।
हार से हार जाता जो जीत नहीँ सकता
हार को हराता जो जीत हासिल करता
हारा हूँ बार बार मगर अब भी हारा नहीं
हार का तजुर्बे से तुझे जीतना सिखा दूँ।।
तकनीकी तालीम तेरी कम नहीँ लेकिन
गलत नीति के आगे बेबस है तालीम
आज तो पीतल भी कसौटी पे खरा
मोती की माथे को क्यों न पारस छुआँ दूँ।।