MORNING
MORNING
एक सुबह जब इश्क हुआ था,
चार बजे थे सुबह के
जब इश्क हुआ था ,
एक पहाड़ से उतर रहे थे ,
लौट रहे थे शूटिंग से
कोहरा था ,धुंधली सी रौशनी थी
कार की दोनों बत्तियाँ
आँखें मल -मल के राह ढूंढ रही थीं,
नींद में भी तुम थोड़ा सा मुस्काई
वक्त इबादत का था वो
सच कहने की बेला थी,
चार बजे के आसपास का वक्त था
एक सुबह जब इश्क हुआ था !