लाल रक्त
लाल रक्त
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लाल रक्त से धरा नहाई,
श्वेत नभ पर लालिमा छायी,
आजादी के नव उद्घोष पे,
सबने वीरो की गाथा गायी,
गाँधी ,नेहरु ,पटेल , सुभाष की,
ध्वनि चारो और है छायी,
भगत , राजगुरु और , सुखदेव की
क़ुरबानी से आँखे भर आई,
ऐ भारत माता तुझसे अनोखी
और अद्भुत माँ न हमने पाई ,
हमारे रगों में तेरे क़र्ज़ की,
एक एक बूँद समायी
माथे पर है बांधे कफ़न
और तेरी रक्षा की कसम है खायी,
सरहद पे खड़े रहकर
आजादी की रीत निभाई !