मोहब्बत
मोहब्बत
अगर भीग जाओ तुम बारिश में
तो नशा भी छोड़ दिया जा सकता है!
अगर छुड़वा दो नशा पीने का
तो सेहरा सजाया जा सकता है!
अगर सजा लो सेहरा समय पे
तो चेहरा छुपाया जा सकता है!
अगर ले लो वचन साथ रहने के
तो सेहरा हटाया जा सकता है!
हटा लिया गर सेहरा कहने पे
तो आँखों को पढ़ा जा सकता है!
आखिर मैं जो पढ़ ली हो आँखें
तो नाम मोहब्बत बताया जा सकता है!