मोहब्बत
मोहब्बत
अगर भीग जाओ तुम बारिश मैं,
तो नशा भी छोड़ दिया जा सकता हैै।
अगर छुड़वा दो नशा पीने का,
तो सेहरा सजाया जा सकता है।
अगर सजा लो सेहरा समे पे,
तो चेहरा छुपाया जा सकता है।
अगर लेलो वचन साथ रहने के,
तो सेहरा हटाया जा सकता है।
हटा लिया गर सेहरा कहने पे,
तो आँखों को पढ़ा जा सकता है।
आखिर मैं जो पढ़ ली हो आंखें,
तो नाम मोहब्बत बताया जा सकता है।