मोहब्बत की नई बातें
मोहब्बत की नई बातें
लिखता हूँ हर रोज़
मोहब्बत की नई बातें,
उसके सीने पर,
सर रखकर सोऊँ
कब आएगी वो रातें !
लिखता हूँ हर रोज़
मोहब्बत की नई बातें!
उसके सुर्ख़ होठ
कब मेरे होठों से टकरायेंगे,
उसके बिखरे बाल कब
मानसून बनके मुझपे
बरस जायेंगे,
बलखाती कमर कब मुझपे
बिजली गिराएंगी,
दिल मे उठ रहे थे ऐसे -ऐसे
ख़्यालात,
लिखता हूँ हर रोज़
मोहब्बत की नई बातें!
उसकी हिरनी जैसी चाल,
मेरे दिल की धड़कन बढ़ायेगी,
उसकी नशीली आँखें
मुझे रोग लगाएगी,
उसके चेहरे की चमक
दिन में ही बिजली गिराएगी,
मुझे खुद में डूबा रही थी
वो सामने आते -जाते,
लिखता हूँ हर रोज़
मोहब्बत की नई बातें!