मोहब्बत की गवाही
मोहब्बत की गवाही
मेरे किरदार से वाकिफ होने की कोशिश मत कर
उसे समझने में दिल लगेगा और तुम दिमाग वाले हो
बदन है मिट्टी का सांसे सारी उधारी है
घमण्ड भी है तो किस बात का
यहाँ हम सब किरायेदार हैं
तुम जो बेफिक्र से नज़र आते हो
क्यों हमें गलतफहमी दिये जाते हो
ना लफ़्जों का लहू निकला है ना किताबें बोल पाती हैं
मेरे दर्द के दो ही गवाह थे और दोनों ही बेजुबां निकले
मोहब्बत करके किसी को छोड़ देना,
जनाब यक़ीन करो,
उसका क़त्ल करने के बराबर होता है।

