मंज़िल मेरी राह मेरी
मंज़िल मेरी राह मेरी
मंज़िल मेरी राह मेरी,
युद्ध मेरा जीत मेरी,
जय पराजय जो मिले,
कर्तव्य पथ सौग़ात मेरी,
क्यों डरूं किससे डरूं,
तलवार तीखी धार मेरी,
सिद्ध किसको क्या करूं,
कि जीत मेरी हार मेरी,
कर्म पथ पर जो मिला,
सहर्ष स्वीकृत सब मुझे,
जीत में या हार में भी,
क्या ख़ुशी क्या ग़म मुझे,
अधिकार मेरा कर्म में है,
फ़ल की चिंता क्यों करूं,
क्या मिलेगा क्या नहीं,
व्यर्थ वाद में भी क्यों पडूँ,
प्रतिस्पर्द्धा के है स्वयं से,
कल से कुछ आगे बढूँ,
दूसरों को देख फिर,
किस बात से ईर्ष्या करूं,
ये रास्ते मैंने चुने हैं,
इनमें बिखरे फ़ूल मेरे धूल मेरी,
जय पराजय जो मिले,
ये जीत मेरी हार मेरी।।