मनुष्य और पर्यावरण
मनुष्य और पर्यावरण
भौतिक विकास और व्यावसायिक दृष्टिकोण ने
आज जीवन को खतरे में डाला है I
कोरोना महामारी के प्रभाव ने आज सबको
घर पर रहने पर विवश कर डाला है।
मनाव ने कई बार भारी –भरकम मशीनों से
पहाड़ों को भी झकझोरा है I
नदियाँ क्या तालाबों को भी नहीं छोड़ा है।
अपने कुकर्मो से मानव ने कितना विनाश किया
आज पर्यावरण में देखो कितना बदलाव किया I
पक्षियों का चहकनाताजी हवानीला आसमान
जिसको देखने के लिए तरस गया था हिन्दुस्तान।
आज नदियाँ हो गई हैं साफ़, हवा हो गई है शुद्ध
पशु –पक्षी मतवाले होकर घूम रहे
चारों ओर पक्षियों का बस शोर है
जैसे पर्यावरण में स्वच्छ अभियान का जोर है।
