मंज़िल
मंज़िल
ज़िन्दगी बदल रही है, ढूंढ़ रही है मुझको।
दिल है कि मानता नहीं, समझता नहीं तुझको।
एक तरफ है ममता तो दूसरी ओर है सपना,
इन सपनों को हासिल करते-करते,
रह ना जाए पीछे कोई अपना।
साँस रुकी है ममता पे,
धड़कन देखे सपना,
इस कशमकश के बीच बदल रही ज़िन्दगी।
चाहता हूँ खुश करूँ,
मजबूर हूँ कुछ इस तरह,
एक अलग एहसास है,
दोहरा रहा इतिहास है।
वक़्त यही था, हालात भी,
बस कल तू था, आज मैं हूँ।
