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SUNIL JI GARG

Comedy

4.0  

SUNIL JI GARG

Comedy

मंदी कल्पना

मंदी कल्पना

1 min
176


इस फैंटेसी वर्ड से अक्सर

दिमाग़ में आतीं बातें गंदी

पर कुछ ज्यादा बिजी हूँ तो

कल्पना भी आजकल मंदी 


कल्पना भी आजकल मंदी

मुझे कोई रोग हुआ तो नहीं

अपनी भावनाओं से खेलना

किसी किस्म का जुआ तो नहीं


किसी ने बताया योग किया करो

मन बिलकुल हो जाएगा साफ

मगर जाड़े में सुबह कौन उठे

छोड़कर कौंसा सा एक लिहाफ


मनोवैज्ञानिक के पास गया तो

पूरी कहानी सुनी मेरी उसने

अपनी कुछ कविताएं दिखाईं

तारीफ भी कर दी मेरी उसने


पर असली फैंटेसी तो है मेरी

लाइक, कमेंट ढेर से आ गए

एडिटर साहेब को मेरे लिखे 

छंद कुछ ज्यादा ही भा गए 


ऐसी बातें करोगे तो कविराज

किसी को गुस्सा भी आ सकता

मुझे क्या मुझे तो दिल से लिखना

कल्पना में कुछ भी लिखा जा सकता।


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