STORYMIRROR

अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Abstract Inspirational

3  

अधिवक्ता संजीव रामपाल मिश्रा

Abstract Inspirational

मंचों से प्रलोभन फैलाते

मंचों से प्रलोभन फैलाते

1 min
212

मंच पर मचलते लोग,

मिथ्या अभिनंदन करते ढोंग,

बंजर जमीं में बीज का ठेका खेल,

कहां उगते बीज नस्ल बदलते खेत।

मंचों से प्रलोभन फैलाते,

वक्त पर कहां मिल पाते।

अच्छे अच्छे को देखा है,

गिरगिट सा रंग बदलता है।

"संजीव" समझ सकता है,

पीड़ा जमाने की बदल सकता है,

संकल्प और विश्वास से भरा है,

कहां आदमी मंच पर खड़ा है।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract