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मन

मन

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मन में उदासी, आँखों में आँसू ,

दिल में सैलाब, पर होठों पर खामोशी।

मन में छुपाए कई राज,

है घुट रहा इंसान आज।।


प्रेम की प्यास को,

जिस्म से बुझा रहा है इंसान आज।

प्रेम की परिभाषा को,

मोह समझ बैठा है ये मन।।


मोह को प्रेम, और प्रेम को देह,

समझ बैठा है मनुष्य।

प्रेम है अर्थ, समर्पण का,

प्रेम है अर्थ, खो जाने का।

प्रेम है अर्थ डूब जाने का,

ना की इंसान को पाने का।।



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