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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

मन पर लोकडाउन

मन पर लोकडाउन

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मन पर लोकडाउन लगा रहा हूं

फिर से टूट कर मुस्कुरा रहा हूं


आज टूटी है, भले ही एक डाली,

पर भूत से खुद को बहला रहा हूं 


मन पर लोकडाउन लगा रहा हूं

कोविड 19 में आदतें सुधार रहा हूं


अब फिजुल बाहर नहीं जाता हूं

बिना वजह मुँह नहीं दिखाता हूं


मन को अब समझा रहा हूं

मन पर मास्क लगा रहा हूं


घर पर आकर हाथ, मुँह धोना

सुबह-शाम दोनों वक्त नहाना


मन पर सेनेटाइजर लगा रहा हूं

मन पर लोकडाउन लगा रहा हूं


इस लोकडाउन के अंदर

मैं, मन को सुधार रहा हूं


पत्थरों के शहर में, आज

शीशे से घर बना रहा हूं


ये मन महल भले कमजोर है

इससे बड़ा नहीं कोई ओर है


अपने इस मन के शीशे पर,

लोकडाउन का लेप लगा रहा हूं


मन पर लोकडाउन लगा रहा हूं

आज ख़ुद को ख़ुद से मिला रहा हूं



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