मन में पंख लगाकर
मन में पंख लगाकर
मन में पंख
लगाकर
मैं उडूं
खुले उम्मीदों के गगन में
एक पंछी सी
उड़ती रहूंगी
लम्बे समय तक
नहीं उतरूंगी
एक झटके में
धरातल पर
यह हौसले की उड़ान है
नहीं थकूंगी एक पल को भी
चाहे कोई कितना जोर
लगा ले
सबको पस्त कर दूंगी
सारी मुश्किलों को हरा दूंगी
जो भी बाधा पड़ेगी
रास्ते में
उसे फूंक मारकर
तिनके सा
उड़ा दूंगी
मुझे बस उड़ना है
एक पंछी की तरह
पंख फैलाकर
नहीं रेंगना
जमीन पर
एक दम तोड़ते कीड़े की तरह
अपनी आकांक्षाओं को
मुझे ही पहचानना है
अपनी तस्वीर में रंग मुझे ही
भरना है
कोशिश करते रहना है
खुशियों का दम भरते हुए
हिम्मत से
जीते रहना है
मंजिल भी गर हासिल न हो तो
कोई गिला नहीं करना है।