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Nitu Mathur

Fantasy

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Nitu Mathur

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मन बावरा

मन बावरा

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हूं आवारा सी पर बुरी नहीं

जानती नहीं कहां है जाना 

पर जाना दूर डगर कहीं,


जहां ना पूछे कोई हाल मेरा बेशक

ना करें परवाह मेरा रंग ढंग

अपनी धूनी में रम जाऊँ 

इकतारा सी बजती जाऊँ


चाहे रास्ते में मिले ना कोई गश्त

दिखे ना चाहे कोई चलता कारवां

ख़ुद अपनी संगत में बन जाऊं

बस अलग सा जीना चाहे ये मन बावरा।

  

 


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