STORYMIRROR

Poonam Arora

Inspirational

4  

Poonam Arora

Inspirational

मजदूर हैं हम

मजदूर हैं हम

1 min
338

बेशक हम मजदूर हैं

मगर नहीं मजबूर हैं

मेहनत कर के खाते हैं

कहीं हाथ नहीं फैलाते हैं

तुम्हारे जो महल सुशोभित हैं


हमारे हाथों से प्रत्यारोपित हैं

तुम्हारे शीशमहलों को हमने ही चमकाया है

खुद अपना घर हमने चाहे तिनकों से बनाया है

तुम्हारी ऊँची इमारतें हमने ही बनाई आलीशान ,भव्य

खुद चाहे होता हो फुटपाथ ही हमारा गंतव्य


हमारे बनाए फर्नीचर से ही तुम्हारा घर- ऑफिस अलंकृत

हमारे घर के फर्नीचर चाहे चारपाई तक ही सीमित

हमारे ही दरवाजों फाटकों के भीतर सुरक्षित हो तुम सबसे

हम चाहे खुले आसमान के नीचे लड़ते लू, वर्षा, शीत लहर से


तुमको तो हम मक्खन मार के नान पराठा खिलाते हैं

खुद अपने घर की रोटी और प्याज से भूख मिटातें हैं

तुम्हारी गाडियाँ भरतीं फर्राटे जिन रास्तों सड़कों से

उन को हमने ही बनाया अपने स्वेद के कतरों से


हम गर्वित हैं काम पर अपने, जीते हैं स्वाभिमान से

हम न होते तो तुम कैसे रह पाते इतनी शान से।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational