Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Children

4  

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Children

मजबूरी और मजदूरी

मजबूरी और मजदूरी

1 min
234


वो मजबूर हुआ,

मजदूर बना...

कंधों पर जीवन का बोझ 

पुस्तकों का बस्ता दूर हुआ।


गुमनाम अंधेरे में, 

एक मुरझाया नन्हा सा फूल 

जिन हाथों में कॉपी- कलम होनी थी 

वे साफ कर रहे - 

ढाबे पर जूठें थाली, प्लेट, गिलास...


जिसे ममता के आंचल में पलना था 

वो मोटे सेठ की गाली खाता है।

पेट की खातिर सब सपने चूर हुए 

नन्हें हाथों की लकीरें बिलख रहीं...

अपनों के सब साये दूर हुए।


कानून सभी झूठे हैं -

मैंने तो आगरा के न्यायालय परिसर में, 

मासूमों को चाय बेचते देखा है

मालिक की गाली खाते देखा है,

भारत के भविष्य को मरते देखा है।


सरकार कोई ऐसी आए,

जो मासूमों की आंखों में चमक लाए

मजबूरी और मजदूरी दोनों को समझे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Children