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Sanjay Verma

Children Stories

3  

Sanjay Verma

Children Stories

ये दूरियां

ये दूरियां

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जब बच्चा पहली बार स्कूल जाता तो माता- पिता उसे कुछ दिन तक स्कूल छोड़ने स्वयं जाते है।बच्चे को स्कूल गेट के अंदर जाते देखते बच्चा रोता है और माता -पिता की आँखों में आँसू आ जाते है |किंतु ख़ुशी भी होती कि बच्चा आज से स्कूल गया किन्तु एक फिक्र भी लगी होती है |कैसे बैठा होगा स्कूल में इतनी देर तक। फिर ,समय पंख लगा कर उड़ने लगता है|वो एक क्लास से दूसरी क्लास में पास होता जाता है ।फ़िर एक दिन आता है कालेज जाने का जिसे की कई जगह बाहर शहरों में जाकर ही पड़ना पढता और वही रहना भी ।माता -पिता अपने मन में झांके तो बच्चो से दूर रहने का दर्द जब बच्चा पहली बार स्कूल गया और अब पहली बार कॉलेज जाता एक समान उठने लगता है|फिर से आँखो में आंसू आते है ।कुछ फ़िल्मी गीतों के भावो में इतना दम ख़म होता है की दूर कही बज रहा या खुद के पास कोई गीत सुन रहे हो तो वो उस गीत में अपने बच्चे की छवि पाकर आँखों की अश्रुधारा को बढ़ा लेते है| यही क्रम हर घरों में चलता है जैसे फ़िल्मी गीत "मै कभी घबराता नहीं पर अंधेरों से डरता हूँ मै माँ ।" तब मालूम होता है की गीतों में कितना दम होता है । बच्चों से दूरी सभी के साथ होती है |यदि भावनात्मक पक्ष बच्चो को मालूम होता है तो वे माता- पिता की चिंता करने लग जाते है ।बच्चो की नौकरी लगने और शादी होने के बाद वो शहर की और रहने जाता है |और माता -पिता फिर से अकेले रह जाते है फिर से दूरियां आँखों में आँसू ला देती है | 



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