मोर
मोर
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जब कोई न मचा शोर
मेरी छत पर आता मोर
मैं करता हूं अच्छा काम
दाना बिखराऊं सुबह-शाम
पहले दाना चुगता मोर
तब मनभर नाचता मोर
रंग-बिरंगे उसके पंख
कूक-कूककर बजाता शंख
उसके सिर पर सजा ताज
राष्ट्रपक्षी पर हमको नाज
जरा सी आहट पाकर
जा बैठे ऊंची मुंडेर
जब कोई न मचाए शोर
मेरी छत पर आता मोर।