निब
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पैन से लिख कर लाये हो ना ?
नहीं सर ! होल्डर से लिखा है, G के निब से, गर्दन झुकाये जितेंद्र बोला।
सच बोलो, छोड़ दूँगा तुम्हें। पैन से लिखा है ना ? अनिल सर ग़ुस्सा हो गये।
सच बोलो।
होल्डर से ही लिखा है।
चटाक। गाल झनझना गया, बोलो किस से लिखे हो ?
पेन से लिखा है, रोते हुये जितेंद्र बोला।
क्यों,कितनी बार समझाया पेन से लिखोगे तो इंग्लिश की लिखावट बिगड़ जायेगी। समझ नही आता। दाँत पीसते हुये उसको घूरा।
सर पिताजी होल्डर नहीं ला पाये, गाल पर हाथ रख कर रोते हुये जितेंद्र बोला।
क्यों नहीं लाये ?
वो बीमार है, कई दिनों से। मुझसे नहीं बोला गया उनसे होल्डर लाने के लिये, सुबकते हुये, बाजू से नाक पोंछते हुये जितेंद्र बोला।
क्या हो गया तेरे बाप को जो एक होल्डर भी नहीं ला पाया, अनिल सर का ग़ुस्सा कम नहीं हो रहा था। बाप की बीमारी का बहाना बनाता है।
वो सही में बीमार है, मैं सच बोल रहा हूँ।
मीनाक्षी मैडम ने इशारे से अनिल सर को क्लास के बाहर बुलाया।
सही बोल रहा है जितेंद्र, सर उसके पिता जी महीने भर से बीमार है। एक दिन डिस्पेन्सरी में मिले थे। कमजोर हो गये थे।
यह मैंने क्या कर दिया ? अनिल सर ने सिर पकड़ लिया।
कोई नहीं सर गलती सभी से हो जाती है। वैसे जितेंद्र तेज बच्चा है। बोलता कम है। मीनाक्षी मैडम ने दिलासा दिया।
अनिल सर का चेहरा बुझ गया।
दूसरे दिन अनिल सर ने जितेंद्र को ऑफ़िस में बुलाया।
डरते / डरते वो ऑफ़िस गया। आज मैंने G के निब से लिखा है सर, नरेंद्र से माँग कर कल ही लिख लिया था।
यह लो ! होल्डर और निब का सेट देते हुये अनिल सर बोले। इसी से लिखना अब, जाओ।
जी सर। ख़ुश होते हुये जितेंद्र बोला।
अनिल सर के होंठों पर हल्की सी मुस्कान आ गयी। दाड़ी भरा उनका चेहरा अब संतुष्ट था।
ग़ुस्सा ग़लत ही करवाता है, अब कभी नहीं। मानो ख़ुद से कोई वादा कर रहे थे।