हिन्दी कविता – भारत भाल था
हिन्दी कविता – भारत भाल था
थर्राया दुश्मन अंग्रेज़ो सरदार भगत
माँ का लाल भारत भाल था
काँप उठे थे सीना कायरो
भगत भारत दुश्मनों काल था
गाँव बंगा जिला लायलपुर
अट्ठाईस सितम्बर सन उन्नीस सौ सात
मे था क्रान्तिवीर ने जन्म लिया
शादी से बचने देश दीवाने ने
था भाग घर अपना छोड़ दिया
किया धमाका बीच लाहौर
खा तमाचा अंग्रेज़ो गाल लाल था
सन उन्नीस सौ तेईस भगत ने
नेसनल कालेज लाहौर लिखा नाम लिया
सन उन्नीस सौ अट्ठाईस गोली मारा सांडर्स
लाला लाजपत राय का बदला लिया
सेंट्रल असेंबली उन्नीस सौ उन्तीस
संग बटुकेश्वर दत्त बम फेंक किया कमाल था
मिले आजादी भारत भगत कुर्बान हुआ
शेरे हिन्द दहाड़ अंग्रेज़ हलकान हुआ
सन उन्नीस सौ तीस चढ़ गया सूली वो
,हुआ शहीद वतन दिल उसका निहाल था
सत सत नमन भारती भगत सिंह को
जगा गया जज्बा आजादी अंग्रेज़ो भूचाल था।
