वो बीते दिन
वो बीते दिन
कल के बीते लम्हें
आज सिर्फ यादो में रह गए
इंजीनियरिंग के वो ४ साल
जाने कब और कैसे निकल गए।
एंट्रेंस एग्जाम पास की
कॉलेज में दाखिला ली
सोचा अब तो लाइफ सेट है
मस्ती की अब न करना वेट है।
कॉलेज शुरू हुआ तो पता चला
किताबों से भरा पड़ा है थैला आसान
नहीं था आगे का सफ़र
बढ़ना हैं आगे हिम्मतकर।
सुबह सुबह उठकर रोज़ क्लास करने जाते थे
आवाज़ बदल कर दोस्तों की प्रॉक्सी हम लगाते थे
मेस का खाना खा कर हो गए थे हम पस्त
घर से दूर आज़ादी पाकर लाइफ भी थी ज़बरदस्त।
देखते देखते जाने कब साल निकल गए
एग्जाम भी जैसे तैसे पास कर गए
साल दूसरा भी होने वाला था शुरू
सीनियर बनने की ख़ुशी भी दिल में थी गुरु।
सीनियर बनकर खूब धौस जमाएंगे
अपने नोट्स जूनियर से ही लिखवांयेंगे
जूनियर निकले होशियार तो
दिली तमन्ना ऐसे ही रह गयी
सोचा अब अगले साल ही अपनी बातें मनवांयेंगे।
