मिज़ाज़
मिज़ाज़
टूटा है दिल बेशक़ पर
आवाज़ नहीं है।।
छुपाऊं भी ज़माने से
ग़हरा राज़ नहीं है।।
ख़ुद की गलती पर है
पछतावा
दिल तुझसे कभी भी
नाराज़ नहीं है।।
और तेरी गली का रास्ता
मैं भूल जाऊँ
इतनी कमजोर याददास्त
आज नहीं है।।
हो गया हूँ रुसवा आज
ज़माने भर में
इश्क़ को करु रुसवा मग़र
ऐसा हमारा मिजाज़ नहीं है।।