अपने हिंदुस्तान में
अपने हिंदुस्तान में
संभाल ना सको तो मत पकड़ना 15 अगस्त को तिरंगा अपने हिंदुस्तान में।
राष्ट्र-ध्वज का अपमान बर्दास्त नहीं संविधान में।।
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आँच न आने दी कभी हिन्द की आन में।
जाने कितने वीर शहीद हुए इस तिरंगे की शान में।।
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सरफ़रोशी की तमन्ना जागी थी आवाम -ए-तमाम में।
बच्चा-बच्चा बना था क्रन्तिकारी अपने हिंदुस्तान में।।
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तिरंगा बना था कफ़न उनके सम्मान में।
लहू आया था जिनका वतन के काम में।।
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दुश्मन की छाती पे लहरता रहा तिरंगा हिंदुस्तान में।
आँखे निकल दी, डाली जिसने बुरी नजर हिंदुस्तान में।।
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लाशों पे लाशें गिरती रही तिरंगे के सम्मान में।
अकेला की आँखे आज भी नम है शहीदों के बलिदान में।।
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बो दे नफ़रत का ज़हर दम ना था अंग्रेजी फ़रमान में।
हिन्दू, मुस्लमां, सिख, ईसाई तब सब एक थे सरजमीं हिंदुस्तान में।।
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तुमने तो रंगों को भी ज़ात मज़हब में बाँट दिया शियाशी गुमान में।
राष्ट्रध्वज भी नया बनाओगे क्या अब फिर से हिंदुस्तान में।।
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जाने कितने भगतसिंह असफाकउल्लाह सूली चढ़े आजादी के इस इम्तेहान में।
तब जाके कहीं मिली है आजादी अपने हिंदुस्तान में।।
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मज़हब की दीवार अब तो गिरा दो शहीदों के सम्मान में।
लहरा दो 15 अगस्त को तिरंगा पूरे हिंदुस्तान में।।
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