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Rashid Akela

Inspirational

3  

Rashid Akela

Inspirational

"फर्ज़ "

"फर्ज़ "

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चेहरे पे उदासी और आँखों में 

आंसू आ रहा है। 

माँ के आँचल में लिपटा बालक आज 

तिरंगे में लिपटा जा रहा है।


वो बूढी आँखे कर रही है, 

इंतजार लौटने का, और 

देकर वचन अगले जनम का 

इस मिट्टी का क़र्ज़ चुका रहा है। 

माँ के आँचल में लिपटा बालक आज 

तिरंगे में लिपटा जा रहा है।


बरसों का संजोया सपना 

एक पल में बिखर जाता है। 

किसी के कलेजे का टुकड़ा 

मेशा के लिए बिछड़ जाता है। 

खाके सीने पे गोली 

मातृभूमि का फर्ज़ निभा रहा है। 

माँ के आँचल में लिपटा बालक आज 

तिरंगे में लिपटा जा रहा है।


उस माँ के आंसू अब कौन पोछेगा 

आख़री साँसो में ये क़सक 

दिल में दबा रहा है। 

ज़माने भर की खुशियाँ 

देने की सोचने वाला, 

उम्र भर के लिए रुला जा रहा है। 

माँ के आँचल में लिपटा बालक आज 

तिरंगे में लिपटा जा रहा है।


   


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