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Versha Gupta

Abstract

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Versha Gupta

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मिट्टी की काया

मिट्टी की काया

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ये मिट्टी की काया

मिट्टी में हीं मिल जानी


फिर क्यों अभिमान तुझे इंसा

इस काया पे,इसके कई रंग

बचपन,युवा और बुढ़ापा 


बचपन सब को लुभाता

अपनी कोमल काया से


युवा प्रेम के पीग बङाता

अपनी मनमोहक काया से


बुढ़ापा ढुढ़ता सहारा

अपनी मुरझाई काया से


ना कर अभिमान इंसा

समय की लाठी में बङा दम


ये नहीं रहता एक समान

मिट्टी......


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