मित्र
मित्र
जब ख़त्म हो जाएंगे सारे रास्ते,
ध्वस्त हो जाएगी सारी उम्मीदें,
तुम मेरे मील के पत्थर हो जाओगे,
तुम मेरे 'हनुमान' कहलाओगे।
मुझे दे जाओगे तुम अंग देश,
और बदले में माँगोगे तो सिर्फ मुझे..
मुझे अपनाने का हर कर्ज निभाऊँगा
तुम 'दुर्योधन' , मैं 'कर्ण' हो जाऊँगा।
जब मुझे देश निकाला घोषित कर
भरी सभा में अपमानित किया जाएगा,
सम्मान सहित मेरा साम्राज्य लौटाओगे,
और तुम मेरे 'राम' हो जाओगे।
जिस दिन मैं निर्धन ही रह जाऊँगा,
आऊँगा तुम्हारी चौखट तक,
भर मुठ्ठी चावल का ऋण चुकाओगे,
तुम मेरे 'श्री कृष्ण' बन जाओगे।