किसान
किसान
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चावल फाँकता हर वो नेता
सिर्फ चावल ही नहीं फाँकता,
वो फाँक लेता है किसान की उम्मीदें
और चावल को गुथकर तैयार करता है
उसके लिए फँदा।
गन्ना चूसता हर वो बिचौलिया
सिर्फ गन्ना ही नहीं चूसता,
वो चूस लेता है किसान का लहू
और लहू घोल कर तैयार करता है
अपने लिए रंगोली।
सरकारी कर्मचारी बैठा-बैठा
जब तोड़ता है रोटी,
साथ ही तोड़ देता है किसान की कमर
इसी से भरता है उसका कमरा।
किसान की झुग्गी पर चना चबाते
जब आ धमकता है जमींदार,
चबा ले जाता है जोड़े रकम और
बिन ब्याही रह जाती है किसान की बेटी।