स्नेह
स्नेह
बेनूर, फरफराती आँखों से झांकता
उस मायूब ओसारा में खटिया लगाए
चार तिनकों पे खड़े गेह की खोज में हूँ
मैं स्नेह की खोज में हूँ।
शमशेरों को चीरती वो लोरियां
तंगदिल के कानों में मरदूद की बोलियां
गुनगुनाती उस पाक देह की खोज में हूँ
मैं स्नेह की खोज में हूँ।
मोहब्बत के दश्त में जकड़ी मक्खियां
सुबह-ओ-शाम जीवन रस उगलती
पतली थोड़ी गाढ़ी लेह की खोज में हूँ
मैं स्नेह की खोज में हूँ।
सौरा के चौरहों पर मिलती निगाहें
निगाहों में पनपती इश्क़ की दास्ताएं
दास्तान-ए-इश्क़ के तह की खोज में हूँ
मैं स्नेह की खोज में हूँ।