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Nand Kumar

Inspirational

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Nand Kumar

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मिसाइल मैन डा 0 अब्दुल कलाम

मिसाइल मैन डा 0 अब्दुल कलाम

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अबुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था उनका नाम। 

समता त्याग देश सेवा में रत रह किया उन्होनें काम ।।

पन्द्रह अक्टूबर सन इकतीस को धनुष कोटि में जन्म लिया ।

जैनुलाब्दीन पिता का जग में पुत्र नें ऊंचा नाम किया ।।

जो असीम्मा माता इनकी वह साधारण थी गृहिणी ।

दिया कलाम सा पुत्र अलौकिक सारा हिन्दुस्तान ऋणी ।।

पांच वर्ष में रामेश्वरम के प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश लिया।

इयादुराई सोलोमन नें जीवन के सार को बता दिया ।।

इच्छा आस्था और अपेक्षा तीन शक्तियां हैं अनुपम ।

इनको समझ बढ़े निष्ठा से सूरज सा चमके हरदम ।।

पाँचवीं कक्षा में पढ़ते थे तब शिक्षक नें उनको बतलाया ।

पक्षी कैसे उड़ते जाकर सागर तट पर दिखलाया ।।

पक्षी उड़ते देख उन्होंने यह अपने उर धार लिया ।

विमान विज्ञान क्षेत्र है चुनना ऐसा दृढ़ निश्चय था किया ।।

कहीं गरीबी उनकी शिक्षा में बाधा मत बन जाए ।

शिक्षा जारी रखने को घर-घर अखबार थे पहुंचाए ।।

मद्रास इन्स्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी से स्नातक उपाधि पाई ।

रक्षा अनुसंधान विकास संस्थान में उपस्थिति दर्ज कराई ।।

सन बासठ में अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन में आए ।

उपग्रह प्रक्षेपण में अपने कर का कौशल दिखलाए ।।

परियोजना निदेशक बनकर के एस एल वी थ्री बनवाया ।

रोहिणी उपग्रह को कलाम ने प्रक्षेपित भी करबाया ।।

लक्ष्य बेधने बाली मिसाइल पृथ्वी अग्नि त्रिशूल बनाई ।

परमाणु परीक्षण की पोखरण में की जाकर अगुवाई ।।

परमाणु सम्पन्न राष्ट्र की पदवी भारत को दिलबाई ।

नहीं हीन हम भारत बासी जग को बात बताई ।।

पच्चीस जुलाई दो हजार दो की तिथि अति सुखदाई ।

बने राष्ट्रपति जब कलाम थी जन जन खुशी मनाई ।।

विंग्स आफ फायर पुस्तक थी उनकी प्रेरणाशाली ।

गाइडिंग सोल्स डायलाग आफ द पर्पज आफ लाइफ भी निराली ।

इण्डिया ट्वेंटी ट्वेंटी में निज दृष्टिकोण को समझाया ।

जग सिरमौर बने भारत इस इच्छा को बतलाया ।।

पांच वर्ष के बाद राष्ट्रपति पद से जब वह मुक्त हुए ।

संचरित ज्ञान अनुभव को युवाओं में थे वह भरपूर किए ।।

पद्म विभूषण पद्म भूषण अरु भारत रत्न था पाया ।

पायी विविध डिग्रियां अपना कौशल ज्ञान दिखाया ।

सभी धर्म उनको समान थे सबका वह करते थे सम्मान ।।

हिन्द देश अरु हिंद बासियों का बढ़ा गये वह जग में मान ।।

सत्ताईस जुलाई पन्द्रह को जब वह व्याख्यान देने आए ।

रहने योग्य ग्रह विषय था उनका उसी समय बेहोश हुए ।।

दिल का दौरा पड़ा और वह हम सबको थे छोड़ गए ।

दुखी हुआ जर्रा - जर्रा सब शोक सिन्धु में डूब गए ।।

तीस जुलाई सन पन्द्रह को पी0 कराम्बु ग्राउण्ड लाकर ।

सम्मान सहित उनको दफनाया अश्रु बह रहे थे झर- झर ।।


ऐसी विभूतियां यदा कदा ही धरती पर हैं आती ।

रहकर बसती दिल में यादें भी मन को हर्षाती ।।


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